Tuesday, August 4, 2015

अंकुर 



मेरी जिंदगी का असली उड़ान अभी बाकी है 
ढल चुकी सुबह तो क्या हुआ, शाम अभी बाकी है।।

कट रहे हैं अभी रंजो गम भरे वक्त 
जिंदगी में एैशो आराम अभी बाकी है।।

अभी तो नापी है कुछ गज जमीं हमने 
गौर से देखो, सारा आसमान अभी बाकी है।।

हर किसी को समझा कुछ पल मे हमने 
सिर्फ मेरी ही बननी पहचान अभी बाकी है।।

नहीं उठेगी किसी कि नजर मेरे दोस्तों पे 
क्योंकि मेरे जिस्म में जान अभी बाकी है।।

मौजूद हैं दुनिया मे सिर्फ खोखले भरोसे वाले 
ऐसे में मेरा ईमान अभी बाकी है।।

कांपेगी धरती, हिलेगा अंबर, शहर होगी धुमिल 
उठने को बेताब ऐसा तुफान अभी बाकी है।।

कानून है अंधा इसलिए मर जाओ मार के 
मेरे दिल में छुपा ये अरमान अभी बाकी है।।

भारत के हैं संतान हम, महाराणा जैसी बात तो होगी ही 
"समर" को बनना "पृथ्वी राज चौहान" अभी बाकी है।।



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