नेता
अमन बेच देंगे, चमन बेच देंगे
गरीबों के तन का कफ़न बेच देंगे।
सुखने ना देना कलम की स्याही
जो सुख गई तो ये वतन बेच देंगे।
हवा बेच देंगे, गगन बेच देंगे
तिरंगे कि सलामी, नमन बेच देंगे.
अगर सो गए सरहदों पे सिपाही
तो शहीदों कि शहादत, सनम बेच देंगे।
नज़र बेच देंगे, जिगर बेच देंगे
ना जाने कहां का किधर बेच देंगे।
ना करना भरोसा ये मौके के यार हैं
आज करते है वादा, कल कसम बेच देंगे।
शहर आपका ये नहर बेच देंगे
जो खाली पड़ा वो नगर बेच देंगे।
सोने से पहले जगा देना किसी को
सो गए सभी जो तो ये हर पहर बेच देंगे।
करम बेच देंगे धरम बेच देंगे
ममता की इज़्ज़त, शरम बेच देंगे।
जिनका ईमान नहीं दुनिया में कोई
वो लहू हिंदुस्तान का गरम बेच देंगे।
my new poem 'ANKOOR' is published now.....
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