चाँद अपनी चांदनी सड़को पर बिछा के रोयेगा
हर ख़ुशी मेरे दर्द पर मुस्कुरा के रोयेगा...।।
हर ख़ुशी मेरे दर्द पर मुस्कुरा के रोयेगा...।।
बदलेगा जमाना, भूल जाएंगे सभी मेरे नाम को
मगर हर परिंदा मेरी कहानी सुना के रोएगा...।।
जब भी होगी आँखे नम किसी की मेरी वजह से
तब हवा के झोंके अक्सर उसे सुखा के रोएगा...।।
जो कहता है मुझे याद रखेगा मेरे जाने के बाद
वही एक दिन मुझे मेरी जिंदगी में भूला के रोएगा...।।
हो जाएगी वीरान हर महफिल जिस दिन
उस दिन हर कोई एक दुसरे को रुला के रोएगा..।।
my next poem NETA is published...
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