चाहत
आपकी नज़रो का एक नज़ारा चाहता हु
चुपके से बस एक इशारा चाहता हूँ
रहे सारा ज़माना खिलाफ मेरे कोई गम नहीं
मैं तो सिर्फ एक आपका सहारा चाहता हूँ
मिलता रहे सब कुछ हर पल नया आपको
बस अपना एक साथ पुराना चाहता हूँ
हम तड़पते है दिन रात आपकी यादों में
आपको याद आके थोड़ा सतना चाहता हूँ
आप तो रहते है हमेशा अपनों के भीड़ में
कैसे कटती है मेरी तन्हाई ये बताना चाहता हूँ
आप तो जान है मेरी, आपको जान कैसे दू
अमानत है मेरी जिंदगी आपकी यही जाताना चाहता हूँ
कश्ती है आप, कहीं न कहीं तो रुकना ही पड़ेगा
जहां रुके आप वहां का बन जाना किनारा चाहता हूँ
हमें तो लूटते हैं हरेक रोज़ ज़माने वाले
खुद लूट जाऊं आप पर एक ऐसा बहाना चाहता हूँ।
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